सब कामों में सिद्धि देती हैं मां सिद्धिदात्री नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार...
सब कामों में सिद्धि देती हैं मां सिद्धिदात्री
नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। शक्ति पूजन का अंतिम दिन होने से ये दिन काफी विशेष होता है। ये दिन हमारी विजय को सुनिश्चित कर देता है। हम नौ दिन तक शक्ति आराधना के विभिन्न चरणों से होकर गुजरते हैं। अगर पूरी निष्ठा और आस्था से प्रयास किए गए हों तो हमारी कार्यसिद्धि तय है। ये ही वो आखिरी दिन होता है जब हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अंतिम कदम उठाते हैं। यह हमारे प्रयासों की सार्थकता का दिन होता है जब हमें यह अनुभव हो जाता है कि अब हमारी जीत होने ही वाली है। हम निश्चिंत और निद्र्वंद्व हो जाते हैं। अर्थात मां दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं।
इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र विद्यमान है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख विद्यमान है।
महत्व
अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
ध्यान मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी
नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। शक्ति पूजन का अंतिम दिन होने से ये दिन काफी विशेष होता है। ये दिन हमारी विजय को सुनिश्चित कर देता है। हम नौ दिन तक शक्ति आराधना के विभिन्न चरणों से होकर गुजरते हैं। अगर पूरी निष्ठा और आस्था से प्रयास किए गए हों तो हमारी कार्यसिद्धि तय है। ये ही वो आखिरी दिन होता है जब हम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अंतिम कदम उठाते हैं। यह हमारे प्रयासों की सार्थकता का दिन होता है जब हमें यह अनुभव हो जाता है कि अब हमारी जीत होने ही वाली है। हम निश्चिंत और निद्र्वंद्व हो जाते हैं। अर्थात मां दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं।
इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र विद्यमान है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख विद्यमान है।
महत्व
अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाती है।
ध्यान मंत्र
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी
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