जीत जाँगिड़ सिवाणा जयपुर! सिवाना उपखंड के मोकलसर कस्बे की विश्वप्रसिद्ध मटकीयां अमेरीका में भी क्षेत्र का गौरव बढा रही हैं! अमेरीका के प्रसि...
जीत जाँगिड़ सिवाणा
जयपुर! सिवाना उपखंड के मोकलसर कस्बे की विश्वप्रसिद्ध मटकीयां अमेरीका में भी क्षेत्र का गौरव बढा रही हैं! अमेरीका के प्रसिद्ध द रूबिन म्युजियम ऑफ आर्ट में जोधपुर के हैंडीक्रॉफ्ट से संबंधित लगभग एक सौ प्रॉडक्ट सजाए गए हैं! ये सारे प्रॉडक्ट अंतर्राष्ट्रीय आर्टिस्ट फ्रांसिस्को ने तैयार करवाए हैं! न्युयॉर्क स्थित म्युजियम के लिये जोधपुर में तैयार करवाए गए एक सौ उत्पादों में मोकलसर की मटकी से संबंधित प्रॉडक्ट भी शामिल हैं! फ्रांसिस्को ने अपने केटलॉग 'फ्रांसिस्को क्लीमेंट्री इंस्पायर्ड बाई इंडिया' में इन्हें प्रदर्शित किया हैं! इन प्रॉडक्ट्स को तैयार करवाने के लिये फ्रांसिस्को अपनी पत्नि के साथ जोधपुर आए थे और यहाँ के निर्यातको के साथ 20 दिन तक रहे थे! वे अगले माह फिर जोधपुर आएंगे!
विश्वविख्यात हैं मोकलसर की मटकियां-
बाड़मेर जिले के सिवाना उपखंड के मोकलसर कस्बे की मटकियां पुरे विश्व में प्रसिद्ध हैं! म्युजियम में मोकलसर की कलाकृति को ठेठ देशी अंदाज में प्रदर्शित करते हुए बांस से बने स्टूल, जिसे स्थानीय भाषा में तरमशी कहते हैं, पर रखा गया हैं! मोकलसर की मटकियां अन्य मटकियों के मुकाबले पानी को जल्दी ठंडा करती हैं! यही कारण हैं कि यहां से रोजाना पाँच हजार मटकिया देशभर में जाती हैं|
जयपुर! सिवाना उपखंड के मोकलसर कस्बे की विश्वप्रसिद्ध मटकीयां अमेरीका में भी क्षेत्र का गौरव बढा रही हैं! अमेरीका के प्रसिद्ध द रूबिन म्युजियम ऑफ आर्ट में जोधपुर के हैंडीक्रॉफ्ट से संबंधित लगभग एक सौ प्रॉडक्ट सजाए गए हैं! ये सारे प्रॉडक्ट अंतर्राष्ट्रीय आर्टिस्ट फ्रांसिस्को ने तैयार करवाए हैं! न्युयॉर्क स्थित म्युजियम के लिये जोधपुर में तैयार करवाए गए एक सौ उत्पादों में मोकलसर की मटकी से संबंधित प्रॉडक्ट भी शामिल हैं! फ्रांसिस्को ने अपने केटलॉग 'फ्रांसिस्को क्लीमेंट्री इंस्पायर्ड बाई इंडिया' में इन्हें प्रदर्शित किया हैं! इन प्रॉडक्ट्स को तैयार करवाने के लिये फ्रांसिस्को अपनी पत्नि के साथ जोधपुर आए थे और यहाँ के निर्यातको के साथ 20 दिन तक रहे थे! वे अगले माह फिर जोधपुर आएंगे!
विश्वविख्यात हैं मोकलसर की मटकियां-
बाड़मेर जिले के सिवाना उपखंड के मोकलसर कस्बे की मटकियां पुरे विश्व में प्रसिद्ध हैं! म्युजियम में मोकलसर की कलाकृति को ठेठ देशी अंदाज में प्रदर्शित करते हुए बांस से बने स्टूल, जिसे स्थानीय भाषा में तरमशी कहते हैं, पर रखा गया हैं! मोकलसर की मटकियां अन्य मटकियों के मुकाबले पानी को जल्दी ठंडा करती हैं! यही कारण हैं कि यहां से रोजाना पाँच हजार मटकिया देशभर में जाती हैं|
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