सफलता के नजदीक पहुंचने पर कैसा हो हमारा स्वरूप जानिए मां कालरात्रि से महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है कालरात्रि। मां कालरात्रि काल क...
सफलता के नजदीक पहुंचने पर कैसा हो हमारा स्वरूप जानिए मां कालरात्रि से
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं। इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। माता का कालरात्रि स्वरूप बताता है कि हमें सफलता के नजदीक पहुंचने पर और सजग और सावधान हो जाना चाहिए। जब सफलता का फल प्राप्त होने वाला होता है। उस दौरान कई विघ्न खड़े हो जाते हैं। हमें ऐसे विघ्नों का तत्काल नाश कर देना चाहिए। माता का ये स्वरूप भयंकर है। इसमें वे दुष्टों का तत्काल नाश करती हैं और सज्जनों को संकट से बचाती हैं। माता सिखाती हैं कि हमें शत्रुओं से भयग्रस्त होने की बजाय उनके विनाश के लिए उद्धत होना चाहिए। कार्य सिद्धि के अंतिम समय में थोड़ी सी भी लापरवाही पूरे काम को बिगाड़ सकती है। इसलिए हमें चौकन्ना होकर शत्रुओं और विपत्तियों का नाश करना चाहिए।मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र गोल हैं। इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गधा है।
महत्व
मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं।
ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं। इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। माता का कालरात्रि स्वरूप बताता है कि हमें सफलता के नजदीक पहुंचने पर और सजग और सावधान हो जाना चाहिए। जब सफलता का फल प्राप्त होने वाला होता है। उस दौरान कई विघ्न खड़े हो जाते हैं। हमें ऐसे विघ्नों का तत्काल नाश कर देना चाहिए। माता का ये स्वरूप भयंकर है। इसमें वे दुष्टों का तत्काल नाश करती हैं और सज्जनों को संकट से बचाती हैं। माता सिखाती हैं कि हमें शत्रुओं से भयग्रस्त होने की बजाय उनके विनाश के लिए उद्धत होना चाहिए। कार्य सिद्धि के अंतिम समय में थोड़ी सी भी लापरवाही पूरे काम को बिगाड़ सकती है। इसलिए हमें चौकन्ना होकर शत्रुओं और विपत्तियों का नाश करना चाहिए।मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र गोल हैं। इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गधा है।
महत्व
मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं।
ध्यान मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी
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