जयपुर। ऊंटनी का दूध अपने अंदर पुाए जाने वाले खास तत्वों के कारण दूध कम औषधि ज्यादा कहा जाता है। इसके दूध में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स अन...
जयपुर। ऊंटनी का दूध अपने अंदर पुाए जाने वाले खास तत्वों के कारण दूध कम औषधि ज्यादा कहा जाता है। इसके दूध में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स अन्य जानवरों के दूध की तुलना में बहुत ज्यादा पाए जाते हैं।
इसके इस्तेमाल से हमारे शरीर में प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है और शरीर हष्ट पुष्ट बनाता है। यह मानव शरीर में होने वाली बीमारियों के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने में भी कारगर है। इसमें सर्वाधिक मात्रा में इन्सुलिन पाया जाता है।
अमेरिका सहित कई अन्य देशों में तो कैमेल मिल्क थैरेपी भी शुरु कर दी गई है। तो कई अन्य देशों में कुपोषण से लडने का इसे सबसे बड़ा हथियार के रूप में देखा जाने लगा है । ऊंटनी का दूध काफी हद तक मां के दूध की तरह गुणकारी होता है। इसमें वो सभी पोषक तत्व होते हैं जो कि एक बच्चे के सुंदर, सुडौल और सुविकसित शरीर के लिए अत्यंत जरूरी हैं। इसके इस्तेमाल से उन सारे विटामिन्स और मिनरल्स की पूर्ति हो जाती है जो भोजन और फलों से नहीं हो पाती। सका नियमित इस्तेमाल करने वाले बच्चों का मस्तिष्क सामान्य बच्चों की तुलना में तेजी से विकसित होता है। इतना ही नहीं उसकी सोचने-समझने की झमता में भी सामान्य लोग बहुत पीछे होते हैं। कुल मिलाकर यह बच्चों को एक ओर कुपोषण से बचाता है तो दूसरी ओर उसमें बौद्धिक क्षमता के विकास में भी सहायक है।
ऊंटनी के दूध में कैल्शियम बड़ी मात्रा में पाया जाता है। जिससे इसके सेवन से हड्डियां मजबूत हो जाती हैं। तो वहीं इसमें लेक्टोफेरिन नामक तत्व पाए जाने से कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी लड़ने की क्षमता शरीर में तैयार होती है। इतना ही नहीं यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है। पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम पाने के लिए भी लोग इसका सेवन करते हैं। यह वायरल संक्रमणों से लड़ने में भी मददगार है। ऊंटनी के एक लीटर दूध में लगभग 52 यूनिट इंसुलिन की मात्रा पायी जाती है। जो कि अन्य पशुओं के दूध में पायी जाने वाली इंसुलिन की मात्रा से बहुत ज्यादा होता है। इंसुलिन शरीर में प्रतिरोधक क्षमता तैयार करने का काम करती है। ऐसा माना जाता है कि ऊंटनी का दूध विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है। इसमें एंटीबॉडी भी मौजूद होता है जो शरीर को संक्रामक रोगों से बचाता है । नियमित इस्तेमाल करने से ब्लड सुगर से राहत मिलती है, इंफेक्शन रोकने में भी मददगार है। तपेदिक, आंत में जलन होने पर भी इसका इस्तेमाल गुणकारी है।यह छोटी मोटी बीमारियों के लिए लाभकारी तो है ही, गैस्ट्रिक कैंसर की घातक कोशिकाओं को रोकने में भी मदद करता है।इसमें पेटाइटिससी,एड्स,मधुमेह,अल्सर,हृदय रोग,गैंगरीन ,किडनी संबंधी,बीमारियों से शरीर की बचाव की प्रतिरोधी क्षमता होती है। यह शरीर में ऐसी कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करता है जो संक्रामक रोगों के खिलाफ एंटीबॉडी के रूप में काम करती हैं। ऊंटनी के दूध में अल्फा हाइड्रोक्सिल अम्ल पाया जाता है। जो कि त्वचा को निखारने का काम करता है। इसीलिए इसका इस्तेमाल सौंदर्य संबंधी सामग्री बनाने में किया जाता है। यह कुपोषण से ग्रसित बच्चों के लिए संतुलित आहार का काम करता है। यह उन लोगों में दिनभर काम करने की क्षमता पैदा कर देता है जो थोड़ा काम करने के बाद थक जाते हैं। इसी कारण कई देशों में कुपोषण से ग्रसित बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए ऊंटनी का दूध इस्तेमाल किया जा रहा है
ऊंटनी का दूध बहुत ही जल्दी पच जाने वाला होता है। इसमें दुग्ध शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट,सुगर, फाइबर ,लैक्टिक अम्ल, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन A, विटामिन E, विटामिन B2, विटामिन C, सोडियम, फास्फोरस ,पोटैशियम, जिंक, कॉपर, मैग्नीज जैसे बहुत सारे तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर को सुंदर और निरोगी बनाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि ऊंटनी का दूध विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है। इसमें एंटीबॉडी भी मौजूद होता है जो शरीर को संक्रामक रोगों से बचाता है । नियमित इस्तेमाल करने से ब्लड सुगर से राहत मिलती है, इंफेक्शन रोकने में भी मददगार है। तपेदिक, आंत में जलन होने पर भी इसका इस्तेमाल गुणकारी है।
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