सफलता के साथ शांति प्रदान करती हैं महागौरी नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महा...
सफलता के साथ शांति प्रदान करती हैं महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है। इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। ये इस बात का प्रतीक है कि श्रम शक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ प्राप्त की गई सफलता उज्ज्वल भविष्य देती है। ये सफलता हमें शांति भी प्रदान करती है। जो सफलता अशांत मन के साथ प्राप्त हो वो अधूरी सफलता होती है। उससे हमें यश तो मिल सकता है लेकिन मन की शांति नहीं मिल सकती। संपूर्ण रूप से सफलता के आनंद को उठाने के लिए आवश्यक है कि हमारा मन भी शांत हो। माता का गौरवर्ण स्वरूप हर प्रकार से शांत रस से परिपूर्ण है। माता सिखाती हैं कि सफलता के साथ शांति भी मिले ऐसे प्रयास होने चाहिए।मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण की हैं। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बायी ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
महत्व
नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है। सोम चक्र उघ्र्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्र पर लगाना चाहिए। श्री महागौरी की आराधना से सोम चक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिरू।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी है। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है। इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। ये इस बात का प्रतीक है कि श्रम शक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ प्राप्त की गई सफलता उज्ज्वल भविष्य देती है। ये सफलता हमें शांति भी प्रदान करती है। जो सफलता अशांत मन के साथ प्राप्त हो वो अधूरी सफलता होती है। उससे हमें यश तो मिल सकता है लेकिन मन की शांति नहीं मिल सकती। संपूर्ण रूप से सफलता के आनंद को उठाने के लिए आवश्यक है कि हमारा मन भी शांत हो। माता का गौरवर्ण स्वरूप हर प्रकार से शांत रस से परिपूर्ण है। माता सिखाती हैं कि सफलता के साथ शांति भी मिले ऐसे प्रयास होने चाहिए।मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण की हैं। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बायी ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
महत्व
नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्र जागृत करने का दिन है। सोम चक्र उघ्र्व ललाट में स्थित होता है। आठवें दिन साधना करते हुए अपना ध्यान इसी चक्र पर लगाना चाहिए। श्री महागौरी की आराधना से सोम चक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
ध्यान मंत्र
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिरू।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा
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