बालोतरा। कहते है कि कुछ कर गुजरने की ललक हो ओर मेहनत का साथ हो तो असंभव कुछ भी नही होता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बालोतरा उपखंड के किसानो ...
बालोतरा। कहते है कि कुछ कर गुजरने की ललक हो ओर मेहनत का साथ हो तो असंभव कुछ भी नही होता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बालोतरा उपखंड के किसानो ने। कुछ समय पूर्व तक बालोतरा क्षेत्र के धरतीपुत्र बिन बारिश में लवणीय खेतो में हाड़तोड मेहनत करके बड़ी मुश्किल से पेड भरने लायक फसल ले पाते थे वही अब किसानों ने नवाचार करके इसी बेकार माने जाने वाली लवणीय भूमी में अनार जैसी नकदी फसल लहलहा कर साबित कर दिया कि धरतीपुत्र मेहनत ओर होसले के दम पर अपनी किस्मत खुद लिखना जानते हैं। बालोतरा उपखंड के बुडि़वाडा,जागसा,आसोतरा,किटनोद आदि गांवों के किसानों ने कृषि विभाग से प्रेरणा लेकर ड्रिप पद्धती से अपने खेतों में किस्मत बदलने के लिए अनार के पोधे लगाए ओर उसमें मेहनत की सिंचाई की तो अनार के पोधे लहलहा उठे जिसने किसानों की किस्मत बदल दी। अनार की पैदावार से किसानों को परम्परागत खेती से मुनाफा भी अधिक होने लगा हैं।
आज से तीन वर्ष पहले जागसा और बुड़ीवाडा़ के केवल एक दर्जन किसानों ने नवाचार करते हुए अपने दम खम पर अनार की खेती की शुरूआत की थी। उन किसानों की अनार बुवाई की सफलता को देखकार अब उपखंड के दर्जनो गांवो में किसान अनार की खेती की ओर प्रेरीत हो रहे हैं। ड्रिप से अनार की खेती होने से इसमे पानी की भी कम खपत होती हैं। क्षेत्र के करीब आठ सो खेतों में लहलहा रहे चार लाख से भी अधिक अनार के पोधे किसानों की मेहनत को बयान कर रहे है।
आज से तीन वर्ष पहले जागसा और बुड़ीवाडा़ के केवल एक दर्जन किसानों ने नवाचार करते हुए अपने दम खम पर अनार की खेती की शुरूआत की थी। उन किसानों की अनार बुवाई की सफलता को देखकार अब उपखंड के दर्जनो गांवो में किसान अनार की खेती की ओर प्रेरीत हो रहे हैं। ड्रिप से अनार की खेती होने से इसमे पानी की भी कम खपत होती हैं। क्षेत्र के करीब आठ सो खेतों में लहलहा रहे चार लाख से भी अधिक अनार के पोधे किसानों की मेहनत को बयान कर रहे है।
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